𝑴𝒐𝒉𝒕𝒂𝒛...


यूं तो एहसास ज़रा महरूम हुआ मगर दिल ए जार ने कुबूल किया की...

मोहब्बत खूबसूरती की मोहताज नही होती अलबत्ता खूबसूरती अक्सर मोहोब्बत की मोहताज बन जाती है...

फिर भला क्यों हर शक्श अपनी जिंदगी उस चेहरे की तराश मैं रहता है जिससे मोहब्बत की जाए... जबकी शक्सियात की अहमियत हर मयार से बुलंद है..

इस एहसास की कुबूलियत मुसाफिर और मुसाफिरत दोनो को आसान और पुर लुत्फ बना देती है...

~आयुषी 

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